धार्मिक

अघोरी या नागा साधु की मृत्यु होने पर शव का क्या होता है? भारत की इस परंपरा पर चीन-अमेरिका हैरान

अघोरी और नागा साधुओं की मृत्यु के बाद उनके शवों के साथ की जाने वाली परंपराएं भारत की धार्मिक विविधता और आध्यात्मिकता को दर्शाती हैं।

अघोरी साधुओं की मृत्यु पर परंपरा:

अघोरी परंपरा में, जब एक अघोरी साधु की मृत्यु होती है, तो उसके शव का दाह संस्कार नहीं किया जाता। इसके बजाय, शव को उल्टा रखा जाता है, यानी सिर नीचे और पैर ऊपर। इस स्थिति में शव को लगभग 40 दिनों तक रखा जाता है, ताकि उसमें कीड़े पड़ सकें। इसके बाद, आधे शरीर को गंगा में बहा दिया जाता है, जबकि सिर का उपयोग साधना के लिए किया जाता है।

नागा साधुओं की मृत्यु पर परंपरा:

नागा साधुओं की मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार नहीं किया जाता। वे जीवित रहते हुए ही अपना पिंडदान कर चुके होते हैं, इसलिए उनकी अंत्येष्टि में अग्नि को समर्पित नहीं किया जाता। इसके बजाय, उन्हें भू-समाधि या जल समाधि दी जाती है। यदि नागा साधु जल समाधि लेना चाहते हैं, तो उन्हें किसी पवित्र नदी में समर्पित किया जा सकता है; अन्यथा, उन्हें सिद्ध योग मुद्रा में बैठाकर भू-समाधि दी जाती है। इस प्रक्रिया में उनके शव पर भगवा वस्त्र डाले जाते हैं और भस्म लगाई जाती है।

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अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण:

इन परंपराओं की अनोखापन और धार्मिक विविधता के कारण, चीन और अमेरिका जैसे देशों में हैरानगी और जिज्ञासा उत्पन्न होती है। यह परंपराएं भारतीय संस्कृति की गहरी आध्यात्मिकता और धार्मिक विविधता को दर्शाती हैं, जो पश्चिमी और अन्य संस्कृतियों के लिए नई और अनोखी हैं।