‘आशिकी’ फिल्म से रातोंरात स्टार बनीं अभिनेत्री अनु अग्रवाल ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 1999 में एक भयानक सड़क दुर्घटना के बाद, उन्होंने कोमा में डेढ़ महीने बिताए और अपनी याददाश्त खो दी। इस कठिन समय के बाद, उन्होंने योग और आध्यात्म की ओर रुख किया और अपनी जिंदगी को फिर से संवारने का निर्णय लिया।
अनु अग्रवाल ने बिहार स्कूल ऑफ योगा से जुड़कर योग की गहरी शिक्षा ली और कर्मयोगी बन गईं। उन्होंने अपना घर और अन्य संपत्ति बेच दी, सिर मुंडवाया और संन्यासिन बनने का निर्णय लिया।
अपने आध्यात्मिक यात्रा के दौरान, उन्होंने अनु अग्रवाल फाउंडेशन (AAF) की स्थापना की, जिसके माध्यम से वे मानसिक स्वास्थ्य, डिप्रेशन और आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों की सहायता करती हैं। अब तक, उन्होंने ढाई लाख से अधिक लोगों की जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाए हैं।
इसके अलावा, अनु अग्रवाल मुंबई की झुग्गियों में बच्चों को योग सिखाती हैं, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार होता है। वे मानती हैं कि योग के माध्यम से जीवन में संतुलन और शांति लाई जा सकती है।
अनु अग्रवाल का जीवन संघर्ष और पुनर्निर्माण की प्रेरणा है, जो यह दर्शाता है कि कठिनाइयों के बावजूद, आत्मविश्वास और समर्पण से जीवन को नया दिशा दी जा सकती है।