Bal Thackeray jayanti : वो शख्सियत जिसने ली बाबरी विध्वंस की जवाबदेही, कभी नहीं लड़ा चुनाव फिर निभाई किंगमेकर की जिम्मेदारी
बालासाहेब ठाकरे, जिन्हें बाल ठाकरे के नाम से जाना जाता है, भारतीय राजनीति के ऐसे नेता थे जिनकी छवि हमेशा विवादों और करिश्माई नेतृत्व का केंद्र रही। शिवसेना के संस्थापक और हिंदुत्व की आवाज़ माने जाने वाले ठाकरे ने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन हमेशा महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र में रहे।
बाल ठाकरे का प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 23 जनवरी 1926, पुणे, महाराष्ट्र।
- उनके पिता केशव सीताराम ठाकरे, एक समाज सुधारक और लेखक थे।
- बाल ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के रूप में की और उनकी रचनाएँ प्रतिष्ठित अखबारों में प्रकाशित होती थीं।
शिवसेना की स्थापना
- 1966 में, बाल ठाकरे ने महाराष्ट्र के मराठी मानुष की पहचान को मजबूत करने के लिए शिवसेना का गठन किया।
- शिवसेना का उद्देश्य मराठी युवाओं के लिए रोजगार और उनके अधिकारों की रक्षा करना था।
- बाद में, पार्टी हिंदुत्व की विचारधारा को अपनाकर राष्ट्रीय राजनीति में उभरी।
बाबरी विध्वंस और हिंदुत्व की राजनीति
- बाल ठाकरे ने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समर्थन में खुलकर अपनी राय रखी।
- उन्होंने इसके लिए जिम्मेदारी भी ली और हिंदुत्व की राजनीति को और मजबूत किया।
- उनकी बयानबाजी ने उन्हें न केवल महाराष्ट्र बल्कि देशभर में हिंदू वोटों का चेहरा बना दिया।
किंगमेकर की भूमिका
- बाल ठाकरे ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उनके निर्देश पर कई मुख्यमंत्री और नेता बनाए गए।
- शिवसेना और भाजपा के गठबंधन को मजबूत करने में उनकी भूमिका अहम रही।
- उनके नेतृत्व में शिवसेना महाराष्ट्र की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक पार्टियों में से एक बनी।
व्यक्तित्व और विरासत
- बाल ठाकरे की छवि एक करिश्माई नेता और धार्मिक विचारधारा के प्रवर्तक की रही।
- वह शिवाजी महाराज के आदर्शों से प्रेरित थे और उनकी रैलियों में लाखों लोग शामिल होते थे।
- उनकी मृत्यु 17 नवंबर 2012 को हुई, लेकिन उनकी विरासत आज भी महाराष्ट्र और भारतीय राजनीति में जीवित है।
बाल ठाकरे की कहानी साहस, नेतृत्व और विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी राजनीति ने महाराष्ट्र और भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी।