महाकुंभ में आए ब्रिटिश वैज्ञानिक इतिएल ड्रॉर ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रति अपने विचार व्यक्त कर चर्चा का केंद्र बन गए हैं। उन्होंने अपने भाषण में न केवल भारतीयों की प्राचीन ज्ञान-परंपरा और संसाधनों की तारीफ की, बल्कि अपने देश ब्रिटेन की उपनिवेशवादी नीतियों पर भी सवाल उठाए।
क्या कहा इतिएल ड्रॉर ने?
- भारतीय संसाधनों की लूट पर बयान:
इतिएल ड्रॉर ने कहा कि ब्रिटेन ने भारत को लंबे समय तक उपनिवेश बनाकर यहां के संसाधनों का शोषण किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति और ज्ञान को कमतर आंका और उनके मूल योगदान को दबाने का प्रयास किया। - चाय पर व्यंग्य:
ड्रॉर ने मजाकिया लहजे में कहा कि ब्रिटिश लोग भारतीय चाय को अपने नाम से प्रचारित करके इसे “दुनिया की सबसे अच्छी चाय” के रूप में पेश करते हैं। जबकि असल में, चाय की जड़ें भारत में ही हैं, और यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है। - भारतीय ज्ञान की प्रशंसा:
उन्होंने कहा कि भारत का वैज्ञानिक और सांस्कृतिक इतिहास बेहद समृद्ध है। भारतीयों ने गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में अमूल्य योगदान दिया है, जिसे पश्चिम ने अक्सर नजरअंदाज किया।
ड्रॉर का उद्देश्य और संदेश:
ड्रॉर ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि पश्चिमी देश भारतीय ज्ञान, परंपरा और योगदान को सही सम्मान दें। उन्होंने भारतीय संस्कृति की स्थायित्व, सहिष्णुता और प्रकृति के प्रति प्रेम को अनुकरणीय बताया।
महाकुंभ में इस बयान का महत्व:
- ड्रॉर का यह बयान भारतीय गौरव और सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बल देता है।
- उनके जैसे वैज्ञानिक का यह स्वीकारना पश्चिमी दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान को दबाना एक ऐतिहासिक भूल थी।