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Mahakumbh: ‘साध्वी तो मैं बनकर रहूंगी… जूना अखाड़े में ऐसे ही नहीं मिली जगह’; राखी ने बताया कैसी हुई एंट्री

यह घटना उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के फतेहाबाद तहसील के गांव टरकपुरा की है। इस घटना में राखी, जो कि एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़की हैं, जूना अखाड़ा में शामिल होने के बाद अपने घर वापस लौटीं। उन्हें जूना अखाड़ा में भेजा गया था, लेकिन उनकी नाबालिग अवस्था को ध्यान में रखते हुए, उन्हें वापस उनके घर भेज दिया गया।

राखी के घर लौटने के बाद, उनके परिवार ने खुशी जाहिर की, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में उनके परिवार और समुदाय की धार्मिक मान्यताओं का भी संकेत मिलता है। कुछ धार्मिक संगठनों और अखाड़ों में बच्चों को विशेष रूप से प्रशिक्षण देने और उन्हें धार्मिक जीवन के मार्ग पर चलाने के प्रयास होते हैं। हालांकि, बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन ने इस कदम को लिया।

यह घटना समाज में धार्मिक परंपराओं और बच्चों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को उजागर करती है।

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साध्वी राखी ने अपनी जूना अखाड़े में शामिल होने की घटना के बारे में बताया कि वह काफी समय से आध्यात्मिक जीवन की ओर आकर्षित हो रही थीं और इस दिशा में अपने कदम बढ़ाना चाहती थीं। उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत करने के लिए जूना अखाड़े को चुना। राखी का कहना था कि उन्हें इस निर्णय के लिए किसी से दबाव नहीं था, बल्कि यह उनका आंतरिक निर्णय था।

उनका कहना था कि, “मैंने अपने दिल की सुनकर यह कदम उठाया, क्योंकि मुझे यह मार्ग सच्चाई और आत्मा के करीब लाता है”

जब वह जूना अखाड़े में शामिल हुईं, तो उन्हें एक गहन प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से परिष्कृत किया जाता है। राखी का यह भी कहना था कि यह प्रक्रिया आसान नहीं थी, लेकिन वह खुद को सिद्ध करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार थीं।

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हालांकि, चूंकि वह एक नाबालिग थीं, इसलिए उन्हें घर वापस भेज दिया गया और अब वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए तैयार हैं।

यह पूरी घटना न केवल उनके धार्मिक विश्वास को दर्शाती है, बल्कि यह भी इंगित करती है कि बच्चे, विशेष रूप से लड़कियां, अपनी पहचान और आत्मा की खोज के लिए प्रोत्साहित हो रही हैं।