Mahila Naga Sadhu: पुरुषों की तरह बेहद कठिन होती है महिला नागा साधु की जिंदगी, जानें उनसे जुड़ी 5 बातें
महिला नागा साधु भारतीय तंत्र और साधना परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इनकी जीवनशैली पुरुष नागा साधुओं से मिलती-जुलती होती है, लेकिन कुछ विशेषताएँ इन्हें अलग करती हैं।
महिला नागा साधुओं से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें:
- कठोर दीक्षा प्रक्रिया: महिला नागा साधु बनने के लिए 6 से 12 वर्षों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक होता है। इस दौरान वे भौतिक सुखों का त्याग करती हैं और ध्यान, योग जैसी साधनाओं में लीन रहती हैं।
- वेशभूषा और पहचान: महिला नागा साधु आमतौर पर बिना सिले हुए केसरिया वस्त्र (गंती) पहनती हैं और अपने माथे पर विशिष्ट तिलक और जटाओं से पहचानी जाती हैं। वे पुरुष नागा साधुओं की तरह निर्वस्त्र नहीं रहतीं।
- सामाजिक भूमिका: महिला नागा साधु समाज में समानता का प्रचार करती हैं और पारंपरिक लैंगिक मानदंडों को चुनौती देती हैं। उन्हें “माता” के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- आध्यात्मिक साधना: इनका जीवन ध्यान, योग और अन्य आध्यात्मिक साधनाओं को समर्पित होता है। वे गरीबी और ब्रह्मचर्य के व्रतों का कठोर पालन करती हैं।
- महाकुंभ में सहभागिता: महिला नागा साधु महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं, जहां वे अपनी उपस्थिति से आध्यात्मिक परंपराओं में नया अध्याय जोड़ती हैं।
महिला नागा साधुओं का जीवन तपस्या, त्याग और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जो समाज में समानता और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का संदेश देता है।