वीरप्पन की मौत के बाद ऐसा है जंगल का हाल, कभी दुर्दांत डाकू की बोलती थी तूती
वीरप्पन की मृत्यु के बाद, दक्षिण भारत के जंगलों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन के निधन से पहले, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के जंगलों में उसका आतंक फैला हुआ था। वह चंदन की तस्करी, हाथीदांत की तस्करी, हाथियों के अवैध शिकार, पुलिस और वन्य अधिकारियों की हत्या और अपहरण जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल था।
18 अक्टूबर 2004 को तमिलनाडु के धरमपुरी जिले के पपरापत्ति जंगल में ‘ऑपरेशन कोकून’ के तहत वीरप्पन को एनकाउंटर में मार गिराया गया।
वीरप्पन की मृत्यु के बाद, जंगलों में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने तस्करी और अवैध शिकार पर नियंत्रण पाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इसके परिणामस्वरूप, जंगलों में वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बल मिला है।
हालांकि, वीरप्पन के निधन के बाद भी कुछ छोटे-मोटे तस्कर सक्रिय रहे हैं, लेकिन उनकी गतिविधियों पर निगरानी और कार्रवाई जारी है। कुल मिलाकर, वीरप्पन की मौत के बाद दक्षिण भारत के जंगलों में शांति और स्थिरता लौटी है, और वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा मिली है।
वीरप्पन की जीवनी
वीरप्पन की जीवनी
पूरा नाम: कूज मुनिस्वामी वीरप्पन
जन्म: 18 जनवरी 1952
जन्म स्थान: गंगावरम, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु: 18 अक्टूबर 2004
मृत्यु स्थान: धरमपुरी, तमिलनाडु
कारण: पुलिस मुठभेड़ (ऑपरेशन कोकून)
व्यवसाय: चंदन तस्कर, डाकू, अपराधी
प्रारंभिक जीवन
वीरप्पन का जन्म तमिलनाडु के गंगावरम गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही उसने शिकार और जंगल की गतिविधियों में रुचि लेनी शुरू कर दी थी। युवा अवस्था में ही वह चंदन की तस्करी में शामिल हो गया था।
अपराध की दुनिया में प्रवेश
वीरप्पन ने 1970 के दशक में चंदन और हाथी दांत की तस्करी शुरू की। उसने जंगलों में अवैध शिकार और तस्करी का साम्राज्य खड़ा कर लिया। वीरप्पन का मुख्य क्षेत्र तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के सीमावर्ती घने जंगल थे।
मुख्य अपराध
- चंदन की तस्करी: हजारों टन चंदन का अवैध व्यापार।
- हाथी दांत की तस्करी: 200 से अधिक हाथियों का शिकार।
- हत्या: वीरप्पन ने करीब 184 लोगों की हत्या की, जिनमें पुलिसकर्मी और वन अधिकारी शामिल थे।
- अपहरण: उसने कई हाई-प्रोफाइल लोगों का अपहरण किया, जिनमें कन्नड़ अभिनेता राजकुमार भी शामिल थे।
प्रमुख घटनाएँ और गिरफ्तारियाँ
- राजकुमार अपहरण (2000): वीरप्पन ने प्रसिद्ध कन्नड़ अभिनेता डॉ. राजकुमार का अपहरण किया और सरकार से बड़ी फिरौती मांगी।
- संग्राम और संघर्ष: वीरप्पन ने तीन दशकों तक दक्षिण भारत की पुलिस को चकमा दिया।
मृत्यु (ऑपरेशन कोकून)
18 अक्टूबर 2004 को तमिलनाडु पुलिस के विशेष बल ने ऑपरेशन कोकून चलाकर वीरप्पन को धरमपुरी जिले के पपरापट्टी जंगल में मुठभेड़ में मार गिराया।
व्यक्तिगत जीवन
- पत्नी: मुथुलक्ष्मी
- बच्चे: एक बेटी
- वीरप्पन अपने परिवार को भी छिपाकर रखता था।
विरासत और प्रभाव
- वीरप्पन की मौत के बाद दक्षिण भारत के जंगलों में तस्करी और हिंसा में काफी कमी आई।
- उस पर आधारित कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री बनाई गई हैं, जैसे “वीरप्पन” (2016) और वेब सीरीज “द हंट फॉर वीरप्पन”।
वीरप्पन का जीवन अपराध, साहस और पुलिस के संघर्ष की कहानी है, जो आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है।